Menu
blogid : 2262 postid : 108

एकाध दिन मस्ती कर लेंगे तो क्या हो जाएगा …..(पार्ट-1) – Hindi Story

कहानियां
कहानियां
  • 120 Posts
  • 28 Comments

रात के ग्यारह बज चुके थे। प्रकाश दंपती के सोने का समय टलता जा रहा था। नींद आंखों पर दस्तक देकर लौट चुकी थी। नींद से वैसे भी इनके संबंध मधुर नहीं कहे जा सकते। दोनों दवा खाकर नौ बजे बिस्तर पर जाते हैं। सब ठीक रहा तो कुछ देर बाद नींद आ जाती है। तडके पांच बजे उठते हैं। सैर-योग, चाय-नाश्ते के बाद साथ बैठते हैं। प्रकाश पचहत्तर पार और मिसेज्ा प्रकाश सत्तर की। दोनों शांति से रह रहे थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से शांति पर जैसे ग्रहण लग गया था। नींद की गोलियां प्रभाव खो रही थीं। पडोस में शोर बढ रहा था।


पडोस का मकान आर्या जी का है। अच्छे मित्र हैं। दोनों ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी की और उच्च पदों से सेवानिवृत्त हुए। आर्या जी के कहने पर प्रकाश जी ने प्लॉट ख्ारीद तो लिया, लेकिन नागपुर में घर बनाने का उनका इरादा न था। आर्या जी का ही आग्रह था जो उनका भी घर बन गया। आर्या जी जानते थे कि प्रकाश रेती-गिट्टी-सीमेंट के झंझट में पडने वाले हैं नहीं। यही होगा कि रिटायरमेंट के बाद प्लॉट बेच कर फ्लैट ख्ारीद लेंगे। पीछे पडकर उन्होंने अपने साथ प्रकाश जी का भी मकान बनवा लिया।


Read – जब मिला मुझे मेरा ही हमशक्ल


लेकिन आर्या जी के भाग्य में रिटायरमेंट के बाद नागपुर में रहना नहीं लिखा था। रिटायर हुए तीन साल ही हुए थे कि मिसेज आर्या का कैंसर से निधन हो गया। अकेले आर्या जी नागपुर में रहकर क्या करते! बेटा पुणे में इंजीनियर है। इसलिए उन्होंने नागपुर का मकान किराए पर उठा दिया और ख्ाुद बेटे के पास चले गए। पिछले दस सालों में जो भी किराएदार रहे, उनसे प्रकाश दंपती को कोई कष्ट नहीं हुआ। वक्त-ज्ारूरत लोग मदद ही करते। किराएदार के लिए रखी जाने वाली शर्तो में आर्या जी की एक शर्त यह भी थी कि पडोस में रहने वाले प्रकाश-दंपती को परेशानी न हो। मकान में मरम्मत होनी थी, जो आर्या जी गर्मियों में आकर कराना चाहते थे। लिहाज्ा पिछले किराएदार के जाने के बाद उन्होंने छात्रों को रख लिया, ताकि परीक्षा के बाद मकान ख्ाली करवाया जा सके।


पहले दो महीने अच्छे बीते। इंजीनियरिंग के दो छात्र थे। सुबह नौ बजे निकलते तो रात को ही लौटते थे। एक बार मिसेज्ा प्रकाश ने पूछा भी एक छात्र से कि क्या इतनी रात तक कॉलेज लगता है? नहीं आंटी, हम दोस्तों के यहां चले जाते हैं। बोर होते हैं यहां अकेले। कुछ दिन बाद तीसरा छात्र आया, फिर चौथा और दो-एक सप्ताह में छात्रों की संख्या का सही अनुमान लगाना कठिन हो गया। लेकिन प्रकाश दंपती को परेशानी नहीं हुई। पडोस गुलज्ार हो गया था। धीरे-धीरे पडोस में छात्र बढने लगे। माहौल बदलने लगा। देर रात तक जमघट रहता। दो छात्र शाम को फाटक खोलते दिखाई देते तो सुबह पांच-सात छात्र मकान से निकल कर कॉलेज जाते। पढाई कम, धींगामुश्ती अधिक होती। ज्ाोर-ज्ाोर से गाने बजते। कई बार वे ख्ाुद भी गाते। शोर तब शुरू होता, जब प्रकाश दंपती का सोने का समय होता। आख्िार एक दिन पानी सिर से ऊपर हो गया तो मिसेज्ा प्रकाश वहां गई, बोलीं, देखो बच्चों, आप देर रात तक शोर करते हो, इससे हमारी नींद हराम हो जाती है।


आंटी जी, आप खिडकी-दरवाज्ो क्यों नहीं बंद कर लेतीं? एक छात्र ने प्रतिक्रिया दी।


अरे बेटा, खिडकी-दरवाज्ो तो बंद ही रहते हैं। उसके बावजूद शोर सुनाई देता है।


Read – तुम्हारे जाने के बाद मेरा क्या होगा….


अरे, इस उम्र में भी आप लोगों को इतना तेज्ा सुनाई देता है। हम पहले जहां रहते थे, वहां तो रात-रात भर ऊधम मचाते थे, किसी ने कुछ नहीं कहा।


तो वहीं क्यों नहीं रहे? यहां क्यों आ गए?


वो हमारा ट्रेड-सीक्रेट है, एक छात्र ने लापरवाही से जवाब दिया था।


हमारे कान अब तक सही हैं, शायद इसीलिए तकलीफ ज्यादा होती है। हम हाइपरटेंशन के मरीज्ा हैं। रात को नींद की गोली खाकर सोते हैं। गोली लेने पर भी नींद न आए तो समझो अगला दिन परेशानी में गुज्ारेगा। आंटी, ब्लड-प्रेशर, आथ्र्राराइटिस, प्रोस्टेट, उनींदापन तो बढती उम्र के साथ सीने पर लगने वाले तमगे हैं जोदर्शाते हैं कि आप बुज्ाुर्ग हो गए। बल्कि आंटी हमारे साथ डांस करने आ जाएं। खाना हज्ाम होगा तो नींद भी आ जाएगी।


मिसेज्ा प्रकाश को ग्ाुस्सा तो आया, लेकिन उन्होंने ऊपरी मन से इतना ही बोलीं, मेरा बेटा मनीष इंजीनियर है। बैंगलोर में है। मैंने उसे तो कभी ऊधम मचाते नहीं देखा।


Read – लैला के ब्याह के बाद मजनूं मिया कैसे जिंदा बच गए…..


एक छात्र बोला, आंटी जी, पुरानी बात मत कीजिए। दस साल पहले मोबाइल देखा था आपने? यहां छतों पर जो डीटीएच छतरियां दिख रही हैं वे थीं पहले? आपका बेटा सात साल पहले इंजीनियर बन गया। उसे जॉब भी मिल गया। पर आंटी आज क्या हाल है, पता है? आपके बेटे की पूरी पढाई में जितना ख्ार्च आया होगा, उतना तो एक साल में आ जाता है। हमें कितना टेंशन है, आप लोगों को क्या पता! ऐसे में, हम मस्ती करके टेंशन दूर करना चाहते हैं तो आपको प्रॉब्लम हो जाती है।


बहस निरर्थक जानकर मिसेज्ा प्रकाश लौट आई। सुबह प्रकाश जी ने आर्या जी को फोन पर पूरी कहानी सुना दी। आर्या जी ने छात्रों से न जाने क्या कहा कि दो-चार दिन शोर कुछ कम हुआ। लेकिन फिर शोर-शराबा शुरू हो गया। 31 दिसंबर की रात तो उनके सब्र का बांध टूट गया। शोर सुबह के तीन बजे तक चलता रहा। आख्िार प्रकाश जी वहां गए। मिसेज्ा प्रकाश आशंकित हुई। पीछे-पीछे वह भी चली गई। प्रकाश जी बोलते रहे-मगर छात्रों के कानों पर जूं भी नहीं रेंगी। आख्िार उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट कराने की बात कही तो छात्र शांत हुए। सुबह तक प्रकाश दंपती करवटें बदलते रह गए। अगले दिन उन्होंने फिर आर्या जी को फोन लगाया। आर्या जी अगले संडे ही नागपुर आ गए और छात्रों से मकान ख्ाली करने को कह दिया। उनके सबसे छोटे साले भैरोप्रसाद नागपुर में रेजिडेंट कलेक्टर थे। उनका हवाला देते हुए आर्या जी ने छात्रों को चेतावनी दी कि पुलिस में रिपोर्ट करने पर उनका करिअर चौपट होते देर नहीं लगेगी।


यहां के लोग बाहरी छात्रों को मकान किराए पर नहीं देना चाहते थे, इसलिए उन्हें मुश्किल हो सकती थी। आर्या जी की पुणे की बस शाम को थी। वे निकलने वाले थे कि दो छात्र मिलने आ गए। कहने लगे, चलिए अंकल, हम आपको बस स्टैंड तक छोड देते हैं।


नहीं। आप लोगों ने मेरे बुज्ाुर्ग मित्र का मन दुखाया है। इसलिए मैं आपसे बात करना भी मुनासिब नहीं समझता, आर्या जी फट पडे। हम शर्मिदा हैं अंकल। हमारे कुछ दोस्त आ जाते थे। प्लीज्ा हमें माफ कर दीजिए। इस समय नया घर ढूंढना हमारे लिए मुश्किल है। मेहरबानी करके सेशन चलने तक हमें यहां रहने दीजिए। आर्या जी जल्दी में थे। उन्होंने मकान ख्ाली करने की तारीख्ा देकर फैसला प्रकाश जी पर छोड दिया। इस घटना को दो हफ्ते बीत गए थे। प्रकाश दंपती के तेवर में कोई फर्क नहीं आया था। अलबत्ता अब शोर-शराबा थम चुका था और छात्र पढाई में जुटे नज्ार आने लगे थे। मगर एक दिन फिर पडोस में शोर मचा। प्रकाश जी ने सोचा कि ख्ाुद जाकर उन्हें डांट दें। लेकिन मिसेज्ा प्रकाश ने मना कर दिया। कहने लगीं, ये उम्र होती ही है मस्ती की। बेचारे दिन-रात किताबों में लगे रहते हैं। एकाध दिन मस्ती कर लेंगे तो क्या हो जाएगा। किसी का बर्थ डे है शायद आज, इसलिए पार्टी कर रहे हैं….


इस कहानी का अगला भाग पढ़ने के लिए क्लिक करें



Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh