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इन सपनों में मैं कहा हूं ? – Hindi story (पार्ट -1)

कहानियां
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रविवार का दिन था। मारिया घर के काम निपटा कर लेटी ही थी कि कॉलबेल बजी। की-होल से देखने पर कोई न दिखा। उसने सेफ्टी चेन लगाकर दरवाजा थोडा सा खोल कर झांका। दीवार से सटा खडा था हैरी। कुछ पल समझ नहीं पाई कि खोले या नहीं। फिर दरवाजा खोल कर बेरुखी से बोली, आइए

पिछले सप्ताह ही वह गुस्से से कह कर गया था कि अब न कभी आएगा, न कभी फोन करेगा। वह व्यंग्य से मुसकराती बोली, क्या हाल है? ठीक है, आप सुनाइए, हैरी धीमे से बोला। मैं ठीक हूं, जरूरत से ज्यादा ऊंची आवाज में मारिया बोली और पानी लेने चली गई।


आज का दिन तो अब गया। पानी हैरी के सामने रखकर वह चुपचाप बैठ गई।


लंबी चुप्पी छा गई। बाहर तेज हवा से पेडों के पत्ते खडखडा रहे थे। मानसून जोरों पर था। पास के घर से टीवी का तेज स्वर आ रहा था।


क्या बात है? आपका चेहरा बुझा सा लग रहा है? हैरी की आवाज अब सहज थी।


थकी हूं.., मारिया ने बात अधूरी छोड दी। मैं गलत समय पर आ गया न! हैरी बोला। नई बात नहीं, मारिया ने कहा। आज उसके चेहरे पर न बनावटी मुसकराहट थी और न उसने कहा नहीं-नहीं ऐसी बात नहीं..।


पडोस के घर में टीवी पर चल रही फिल्म से अब रोने-चिल्लाने की आवाज आने लगी थी।


अभी मैं आ रहा था तो सी-बीच पर बहुत भीड थी, हैरी बात शुरू करते हुए बोला।


क्या हुआ? मारिया सहम सी गई थी।


हैरी हंस पडा, फिल्म की शूटिंग हो रही थी।


वो तो अकसर होती रहती है, वह निश्चिंत होकर बोली। फिर सोचने लगी, हो सकता है हैरी बात आगे बढाना चाहता हो।


बाहर बादल और काले हो गए थे।


बरसात जोरों से होगी, हैरी फिर बोला।


बरसात तो आजकल रोज ही हो रही है।


सोमवार को तो सारी लोकल गाडियां बंद थीं।


कितने लोग तो घर भी नहीं पहुंच पाए।


आप समय रहते चले जाइए। भीगे तो बीमार हो जाएंगे, मारिया ने चाय मेज पर रख दी।


आजकल तो रोज भीगते हैं, वह हंस पडा।


मारिया चुपचाप चाय पीती रही। उसे हैरी की बात पर हंसी नहीं आती और वह नकली हंसी हंसने के मूड में नहीं थी। वह सोकर थकान उतारना चाहती थी, लेकिन हैरी का क्या करे।


पिछली बार आया तो वही पुराने घिसे-पिटे रोमैंटिक डायलॉग बोलने लगा। मारिया को गुस्सा आ गया, मैं कितनी बार कह चुकी हूं कि मुझे यह सब पसंद नहीं, मैं बच्ची नहीं हूं ये बातें बच्चों से नहीं कही जातीं..


मैं 16-17 वर्ष की लडकी भी नहीं हूं।


कभी-कभी हैरी राजनीति की बातें करता। वह ऊबकर हूं-हां करती रहती। जब वह देखता कि मारिया ऊंघ रही है तो वह उसकी दोपहर को सोने की आदत को कोसने लगता।


मैं सुबह जल्दी उठती हूं। फिर लोकल गाडी में सफर करके ऑफिस जाती हूं, थक जाती हूं।


अच्छा, मैं चलता हूं, बुझे स्वर में वह बोला। मारिया ने बैठने को नहीं कहा। हैरी फिर भी न उठा तो उसने कहा, बाहर बारिश बंद हो गई है। अभी लोकल गाडियों में भीड भी नहीं होगी, आप फौरन निकल जाइए।


ऑफिस में फोन करना, जाते हुए हैरी बोला।


कुछ दिन बाद फोन आया, क्या हाल है?


ठीक है


क्या कर रही हो?


आपसे बात


मेरा मतलब है, क्या कर रही थी?


सो रही थी, जानबूझकर मारिया बोली।


ओह! डिस्टर्ब कर दिया, सॉरी। भूल गया था यह आपके सोने का समय है, हैरी हंसा था।


बताइए, फोन क्यों किया?


आपने कहा था फोन करेंगी। प्रतीक्षा करता रहा।


आपका फोन न आया तो मैंने कर दिया।


खास कहने को था नहीं, मैं व्यस्त भी थी।


मुझे भी कुछ समय दो मिलने के लिए


Read – जब मिला मुझे मेरा ही हमशक्ल


आप दो-चार दिन पहले ही तो आए थे।


मैं आपसे कोई विशेष बात कहना चाहता हूं अभी बता दीजिए, मारिया खीझ उठी थी।


फोन पर नहीं, बताइए कब मिलेंगी? फिर बताती हूं। बाहर घंटी बज रही है, कहकर उसने फोन काट दिया।


..मारिया का पति ऐशले मिलनसार था। उसके दोस्त अकसर घर पर धरना दिए रहते। मारिया चाय-कॉफी और खाना बनाती। जैकी और हैरी बाकी दोस्तों के जाने के बाद भी बैठते। छुट्टी वाले दिन तीनों के परिवार जुहू बीच या नेशनल पार्क जाने का कार्यक्रम बनाते। मुंबई की बढती जनसंख्या, लोकल गाडियों की भीड, गैंगवार, राजनीति, बढती महंगाई..न जाने कितने विषयों पर बातें करते। मारिया ऊंघने लगती। इंतजार करती कि सब चले जाएं तो वह सोए। कई बार ऐशले पर बरस भी पडती, तुम्हारे दोस्त अजीब हैं। उन्हें अपने परिवारों की कोई परवाह नहीं, लेकिन मुझ पर तो रहम करें। मुझे सुबह उठकर ऑफिस भी जाना होता है।


ऐशले मारिया को बांहों में लेकर सो जाता। ऐशले, तुम खुशिकस्मत हो। तुम्हें मारिया जैसी सुंदर, हंसमुख, पढी-लिखी लडकी मिली, जैकी की आंखों से शरारत झलकती।


मारिया प्रशंसा से खिल-खिल जाती।


जैकी, औरतों की ज्यादा प्रशंसा करें तो सिर पर चढ जाती हैं, ऐशले हंस कर कहता। ऐशले, औरतों के बारे में तुम्हारे विचार बडे दकियानूसी हैं, मारिया हैरान होकर कहती।


तुम पगली हो मारिया। मैं नहीं चाहता कि ये लोग मेरी इकलौती बीवी को नजर लगाएं, वह खिलखिला कर हंसने लगता।


जैकी मस्का क्यों लगा रहे हो? वह पूछती। मस्का तो महंगा हो रहा है। हार्ट के लिए ठीक भी नहीं। मैं तो सच-सच बता रहा हूं।


अच्छा! ऐशले तो तुम्हारी बीवी की प्रशंसा करता नहीं थकता, मारिया मजाक करती।


तीनों दोस्तों में जैकी ऊंचा बोलता, हंसता भी खूब। हैरी कम और धीमे बोलता। कभी-कभी ऐशले देर से घर लौटता तो मारिया खीझ उठती, आपको मेरा खयाल है? दिन भर थकान और रात को समय पर सोना भी नसीब नहीं। तुम्हारे मित्रों की बीवियां नहीं खीझतीं?


तुम्हारे जैसा बडा दिल हर औरत का नहीं होता, कहकर ऐशले उसे बांहों में घेर लेता।


छुट्टी वाले दिन अकसर वे समुद्र किनारे जाते। वह सी-बीच पर फैली गंदगी से निराश था। कुढता हुआ कहता, हजारों वर्ष पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता की सफाई के बारे में पढ कर हैरानी होती है। इस वैज्ञानिक युग में भी प्रकृति से कितना खिलवाड कर रहे हैं हम। प्लास्टिक कल्चर ने हर ओर प्रदूषण फैला दिया है।


ऐशले समुद्र की लहरों में कहीं खो जाता।

Read – पापा को डॉक्टर के पास लेकर जाना है….


कहां खो गए? मारिया पूछती।


समुद्र की गहराई में कितना कुछ छिपा है। इंसान का मन भी इतना ही गहरा है, लेकिन हम इसकी गहराई नाप नहीं सकते।


लगता है आजकल किसी के मन की गहराइयों में उतर कर डुबकियां लगा रहे हैं आप। कौन है वह खुशनसीब? मारिया उसे झिंझोडती।


सैम के बारे में सोच रहा था। मां बाप के बाद मैंने उसे पाला-पोसा, पढाया-लिखाया। आज वह लंदन में बैठा न एक चिट्ठी लिख सकता है और न फोन कर सकता है। मैंने चार पत्र भेजे, कोई जवाब नहीं आया। पिछली बार जब आया तो कह रहा था कि अब वह ठीक ढंग से सैटल हो गया है। जल्दी कुछ पैसे भेजेगा, ताकि हम दो कमरे का फ्लैट खरीद सकें लेकिन..। ऐशले ठंडी आह भरने लगा।


क्या पता वह भी परेशान हो, मारिया बोली।


एक बार मुझे समुद्री जहाज की यात्रा जरूर करनी है, ऐशले बात का रुख बदल देता।


एलीफैंटा केव्ज तक? खिलखिलाकर वह बोलती। प्यार से उसे गाल पर चपत लगाते हुए वह बोलता, सैम के पास जाना है।


सैम के पास इंग्लैंड! समुद्री जहाज से!


समुद्री जहाज की यात्रा का मजा अलग है।


सैम ने तो आपको कभी बुलाया नहीं तो क्या हुआ! है तो मेरा भाई। गया तो घर से निकालेगा क्या! वहां मेरे कुछ दोस्त भी हैं। कुछ दिन वहां रहकर फिर यूरोप घूमूंगा ट्रेन से।


पैसे कहां से आएंगे? वह हैरानी से बोलती।


कुछ जमा करूंगा, प्रोविडेंट फंड से ले लूंगा।


मैं अकेले रहूंगी? मारिया सहम कर बोलती।


मारिया डियर तुम्हारे बिना तो मैं कहीं भी जाने के बारे में नहीं सोच सकता।


सुनकर मारिया गदगद हो जाती।


आपके सपने बहुत बडे हैं।


सपनों पर टैक्स नहीं लगता न।


सपनों में थोडी काट-छांट कर लो। चलो, पहले उत्तर भारत घूमते हैं, फिर कन्या कुमारी, ..लेकिन सारे सपने समुद्र की गहराइयों में दफ्न हो गए। एक दिन दफ्तर से लौटते हुए ऐशले लोकल गाडी के हादसे का शिकार हो गया। मारिया जैसे पागल ही हो गई। दिल करता कि चलती गाडी से कूदकर जान दे दे या समुद्र में डूब जाए।


लेकिन ऐसा कुछ न कर सकी। बंगलौर से उसके भाई-बहन आए। ऐशले का भाई सैम इंग्लैंड से आया। पर कोई कब तक उसके पास रहता। अंत में वह अकेली थी। न घर में मन लगता-न ऑफिस में। रात में नींद खुलती तो बैलकनी में कुर्सी पर बैठकर सामने लगे ऊंचे पेडों को देखती रहती। खाना खाते हुए जबडे थकते, बोलने के लिए मेहनत करनी पडती, आंखें अंदर धंस गई थीं।


बहन का फोन आया तो वह कुछ दिन उसके पास गई, लेकिन मन टिका नहीं। लौट आई।


जैकी कभी-कभी आता, मारिया, कोई मदद चाहिए तो मेरे ऑफिस में फोन कर देना।


लेकिन मारिया सचमुच काम के लिए फोन करती तो वह टाल जाता। हैरी मदद करता। कई बार ऐशले के ऑफिस भी साथ गया। एक दिन हैरी बोला, मारिया, फोन ऑफिस में किया करो, घर में नहीं।


क्यों?

……….इस कहानी का अगला भाग पढ़ने के लिए क्लिक करें …..


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