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घर ही है हनीमून डेस्टिनेशन – Hindi Stories ( पार्ट -2 )

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इस कहानी का पहला भाग पढ़ने के लिए क्लिक करें

…अचानक ही रेवा को प्रमोशन मिला। ईमानदारी और मेहनत का पुरस्कार है यह…। जब घरेलू जीवन कुछ न रहे और पति को परवाह न हो तो पत्नी क्या करे। रेवा का यही हाल था। लिहाजा उसने अपना सारा ध्यान काम पर ही लगा दिया।


खबरदार जो मेरी मां को बूढ़ी कहा तो !!


पहली बार किराये के पैसे हाथ में आए तो रोहन से आग्रह करते हुए बोली, रोहन, हम अब तक बाहर नहीं गए, चलो न गोवा घूमने चलें। जैसे कोई अजीब सी चीज देख ली हो रोहन ने, क्षुब्ध होकर बोला, गोवा?


हां! मेरा मन है जाने का।


फजूलखर्ची मुझे पसंद नहीं। पैसा बर्बाद करना तो कोई तुमसे सीखे। मुझे पांच हजार देती हो, बाकी का हिसाब दिया है तुमने मुझे?


रेवा का मुंह खुला रह गया आश्चर्य से, मैं अपने पैसों का हिसाब तुम्हें दूं?


क्यों नहीं! लोग तो पूरी तनख्वाह ले लेते हैं पत्नी की। मैं इतना नीच नहीं हूं। लेकिन पैसे बर्बाद होते नहीं देख सकता। किराये के सारे पैसे बैंक में जमा होंगे, बस यह जान लो।


पैर पटकता वह चला गया। अपमान, लज्जा, दु:ख से भरी स्तब्ध रेवा बैठी रही। उसी दिन से उसने खुद को काम में झोंक दिया था। अब उसे इस मेहनत का पुरस्कार मिला प्रमोशन और वेतनवृद्धि के रूप में। रोहन को पता चला तो खुश होकर बोला, क्या बात है रेवा! बधाई!


रेवा के दिमाग्ा में खतरे की घंटी बज उठी। आज उसने खुद को पहले ही तैयार कर लिया। आज तक सिर्फ समझौते किए हैं। रोहन ने जो कहा, वही किया। आखिर अब तक वह मां को चोरी-छिपे पैसे क्यों देती रही! वह पढी-लिखी, स्वावलंबी लडकी है। वह क्यों इस तरह पिसती रहे। सोचते हुए रेवा बोली, हां, अब कुछ और सुविधाएं भी मिलेंगी।


वाह! अब हर महीने दस हजार रुपये मुझे दो। चौंकी नहीं रेवा। उसे रोहन से यही अपेक्षा थी। दृढता से बोली, वह तो मैं नहीं दे सकती। रोहन ने हैरानी से देखा, क्यों नहीं दे सकती? घर में रह रही हो! खाना खा रही हो!


क्या मतलब? मैं पेइंग गेस्ट हूं..? तुम्हारी बीवी नहीं हूं? वह व्यंग्य से बोली।


चलो, ऐसा ही मान लो।


..तो फिर मैं यहां क्यों रहूं? जहां अपनी मर्जी से रह सकूं, वहां रहूंगी न!


इतने पैसे में रहने को जगह मिलेगी तुम्हें?


मिल जाएगी। मैं आज ही मां के पास जा रही हूं। पैसे ही देकर रहना हो तो उनके साथ रहूंगी। उसने अपना सामान पैक कर लिया। रोहन उसे सामान पैक करते और जाते देखता रहा..। न तो कुछ बोला, न रोकने की कोशिश की। शायद अब दूसरी पेइंग गेस्ट तलाश करे, जो उसे हर महीने दस हजार रुपये दे सके। रेवा को न जाने क्यों रोहन पर तरस आने लगा..।

Tags : Hindi Stories, best hindi stories, love stories, family, romantic stories, marriage, husband wife relation

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